Friday 4 July 2014

क्या कमोडिटी बाजार को बचाएगी सरकार? 70% गिरा वायदा कारोबार - Rs. 300/- per crores Commodity/Equity Trading -9322932261




  • मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज का कारोबार पिछले साल के मुकाबले 67 फीसदी तक घट गया।
  • केवल सोने के कारोबार में पिछले एक साल में 61 फीसदी की गिरावट आई है।
  • नेशनल कमोडिटी डेरीवेटिव्स एक्सचेंज पर भी कारोबार पिछले तीन महीने में 18 फीसदी तक गिर गया है।
  • एग्री कमोडिटी में केवल चने के कारोबार में 15 फीसदी की गिरावट आई है। 
इन 4 आंकड़ों के आंकलन से ही कोई भी व्यक्ति बड़ी आसानी से इस बात का अंदाजा लगा सकता है कि देश में पिछले एक साल से कमोडिटी एक्सचेंज पर कारोबार की हालत काफी पतली है। एक के बाद एक लगे झटकों के कारण कमोडिटी बाजार से तमाम कारोबारियों, निवेशकों और विशेषज्ञों का भरोसा उठ गया है। अब बहाली की उम्मीदें वित्त मंत्री के आम बजट और मोदी सरकार से ही हैं।
क्यों घटा कारोबार
  • 1 जुलाई 2013 से कमोडिटी ट्रेडिंग पर 0.01 फीसदी का कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स लागू हुआ था, उसके बाद से लगातार कमोडिटी एक्सचेंजों के कारोबार में गिरावट आई है। सीटीटी बुलियन, मेटल और एनर्जी कमोडिटी की ट्रेडिंग पर लगता है। साथ ही चीनी, सोया तेल, ग्वार गम जैसे एग्रो प्रोसेस्ड कमोडिटी पर सीटीटी लागू है।
  • कमोडिटी एक्सचेंजों के कारोबार में गिरावट की एक और बड़ी वजह एनएसईएल घोटाला है। एनएसईएल घोटाले में एमसीएक्स के एमडी जिग्नेश शाह को जेल जाना पड़ा। संवैधानिक संस्थाओं पर भी इस घोटाले की आंच आई। निवेशको का फंसा पैसा अभी तक नहीं मिला है। इस मामले के बाद निवेशकों का भरोसा कमोडिटी एक्सचेंजों पर से घटा है। 
  • शनिवार का कारोबार बंद हो जाने से भी टर्नओवर पर असर पड़ा है। एफएमसी ने 1 अप्रैल 2014 से शनिवार को पूरा कमोडिटी बाजार बंद रखने का फैसला लिया था। इससे पहले शनिवार को सुबह 10 बजे से 2 बजे तक कमोडिटी बाजार में कारोबार होता था। 
  • कई कमोडिटी के वायदा कारोबार पर रोक लगने से भी एक्सचेंजों के वॉल्यूम में भारी गिरावट आई है। ग्वार, काली मिर्च और लाल मिर्च के वायदा कारोबार पर एफएमसी ने रोक लगा दी थी। 2012 में एनसीडीईएक्स के टर्नओवर के 50 फीसदी ग्वार के कारोबार की वजह से था। हाल ही में एफएमसी ने आलू के नए वायदा के लॉन्च पर रोक लगाया है। 
  • सेंसेक्स और निफ्टी रोज नए रिकॉर्ड बना रहे हैं, जिसका असर भी कमोडिटी एक्सचेंजों के कारोबार पर पड़ा है। सोना हमेशा शेयर बाजार से ज्यादा मुनाफा देता रहा है, लेकिन पिछले 5 महीनों से शेयर बाजार लागातार बढ़त के साथ कारोबार कर रहा है, जिसकी वजह से शेयर बाजार ने सोने से ज्यादा मुनाफा दिया है। शेयर बाजार में आई तेजी की आंधी से लोग कमोडिटी में कारोबार करने के बजाय शेयर बाजार का रुख कर रहे हैं।
विशेषज्ञ का नजरिया
केडिया कमोडिटी के एमडी अजय केडिया मुताबिक एक्सचेंजो का कारोबार एनएसईएल घोटाले की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है जिसका असर एक्सचेंज के साथ ब्रोकरों के कारोबार पर भी पड़ा है। इसके अलावा कई एग्री कमोडिटी के कारोबार पर रोक लगने से भी एक्सचेंज को बड़ा झटका लगा।
सरकार क्या करें ऐसा कि लौट आए भरोसा
  • कमोडिटी एक्सचेंज के लिए अच्छे दिन तब आ सकते है जब एनडीए सरकार कमोडिटी बाजार में ऑप्शन ट्रेडिंग की शुरुआत कर दे।
  • 2013 में लादे गए कमोडिटी टाजैक्शन टैक्स को वापस ले या कुछ हद तक घटाए जाएं।
  • डब्बा ट्रेडिंग पर रोक लगे जिससे एक्सचेंज पर पर वाल्यूम में इजाफा हो सके।
  • साथ ही मुचुअल फंड और एफआईआई को आने की इजाजत दें तभी कोमोडिटी की हालात में सुधार हो सकता है।
देश के कमोडिटी एक्सचेंज और कारोबार एक नजर में
देश के चारों एक्सचेंजों का कारोबार 2011 के बाद से लगातार घटता जा रहा है। 2011 में कुल 1,830,22 अरब रुपए का कारोबार हुआ था जो 2013 तक घटकर 1,221,38 अरब रुपए रह गया। देश के सबसे बड़े कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स का कारोबार पिछले साल के मुकाबले 67 फीसदी तक घट गया है। दरअसल सीटीटी लगने से सोने के कारोबार में एक साल में 61 फीसदी की गिरावट आई है जिसके कारण एक्सचेंज का कारोबार घट गया है। वहीं एग्री कमोडिटी की सबसे बड़ी एनसीडीईएक्स का कारोबार पिछले तीन महीने में 18 फीसदी घटा है। एक्सचेंज पर चने का कारोबार 15 फीसदी घटा है। 
  • देश में कुल 5 नेशनल और करीब 16 क्षेत्रीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं।
  • सभी क्षेत्रीय एक्सचेंज बंद हो चुके हैं।
  • नेशनल एक्सचेंज में भी केवल एमसीएक्स और एनसीडीईएक्स पर ज्यादा कारोबार होता है। 
  • देश में नॉन एग्री का सबसे बड़ा एक्सचेंज एमसीएक्स है।
  • एग्री कमोडिटी के लिहाज से एनसीडीईएक्स सबसे बड़ा कमोडिटी एक्सचेंज है। 
  • एमसीएक्स पर सोना, चांदी, कच्चा तेल, कॉपर. एल्यूमीनियम, जिंक, लेड, निकेल, नेचुरल गैस, इलायची, कॉटन और मेंथा ऑयल में कोरोबार होता है। 
  • इन सभी कमोडिटी में सबसे ज्यादा वॉल्यूम सोने और चांदी में होता है। 
  • एनसीडीईएक्स पर जौ, कॉस्टर सीड, चना, लाल मिर्च, धनिया, हल्दी, जीरा, कपास खली, गोल्ड हेज, ग्वार गम, ग्वार सीड, गुड़, मक्का, सोयाबीन, रिफाइंड ऑयल और गेहूं वायदा में कारोबार होता है।

2 दिन में 14 डाॅलर प्रति ओंस गिरे सोने के दाम

  • अमेरिकी में रोजगार के अच्छे आंकड़ों के चलते सोने की कीमतों में गिरावट
  • काॅमैक्स पर सोना 0.8 फीसदी की गिरावट के साथ 1320 डाॅलर प्रति ओंस के स्तर पर 
  • 30 मई के बाद यह किसी एक्टिव काॅन्ट्रैक्ट में सबसे बड़ी गिरावट
  • 1 जुलाई को 1334 डाॅलर प्रति ओंस पर थी सोने की कीमतें
  • यह 24 मार्च 2014 का उच्चतम स्तर था
  
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Thursday 3 July 2014

बड़े कारण जिनकी वजह से रुपए को मिल रहे हैं मजबूती के संकेत

बुधवार के सत्र रुपया अपने तीन हफ्तों के उच्चतम स्तर के करीब 59.69 के स्तर पर बंद हुआ। 
केडिया कमोडिटी के अजय केडिया के मुताबिक डॉलर के मुकाबले रुपए में आज भी यह तेजी जारी रह सकती है, अगले एक से दो दिनों में 1 डॉलर की कीमत 59.30 पैसे के स्तर तक जा सकती है। साथ ही मध्यम अवधि के लिए रुपए की दिशा बजट में सरकार की ओर से लिए गए निर्णय पर निर्भर करेगी।   
 
रुपए में आई तेजी के पांच बड़े कारण इस प्रकार है।
  • शेयर बाजार में आई जोरदार तेजी इस ओर इशारा कर रही है कि विदेशी संस्थागत निवेशक भारतीय बाजारों में लगातार खरीददारी कर रहे हैं। शेयर बाजारों में डॉलर का इतना निवेश रुपए को मजबूती देता है।
  • अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई और कंज्यूमर कॉन्फिडेंस के आंकड़े खराब आए हैं। जिसके चलते डॉलर में कमजोरी का माहौल है। इससे रुपए को सहारा मिलता है
  • सरकार की ओर से बजट में कठोर कदम उठाने के संकेत दिए जा रहे हैं। इससे चालू खाता घाटा कम होने की उम्मीद है और महंगाई पर भी अंकुश लग सकता है। यह रुपए के लिहाज से अच्छी खबर है।
  • इराक में संकट कम होने से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है। 115 डॉलर का उच्चतम स्तर छूने के बाद फिलहाल ब्रेंट क्रूड की कीमतें 112 डॉलर के स्तर पर कारोबार कर रही हैं। इससे कच्चे तेल का आयात सस्ता हो जाता है और इंर्पोट बिल में भी कमी आती है। जिसके कारण रुपए में मजबूती आती है।
  • पिछले दो दिनों में चीन और जापान में आए अच्छे मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई आंकड़े आए हैं। जिससे  एशियाई बाजारों में तेजी की संभावना को बल मिलता हैं। इस कारण आने वाले दिनों में रुपया और मजबूत हो सकता है।

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Wednesday 2 July 2014

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बजट बाद सोना हो सकता है सस्ता! Rajiv Kapoor

नई सरकार का पहला बजट जुलाई में पेश होगा। इस बजट से बाजार की उम्मीदें भी बंधी हुई हैं। क्योंकि, बजट में गोल्ड से जुड़े बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। बाजार की उम्मीदें हैं कि सरकार गोल्ड के 80-20 आयात नियम में राहत देगी और करीब 2 से 3 फीसदी तक इंपोर्ट ड्यूटी को कम करेगी। इससे न सिर्फ सोना सस्ता होगा बल्कि डिमांड और सप्लाई में अंतर होने से हाजिर बाजार में इसकी तेजी भी खत्म हो सकती है। 

बीते सप्ताह तेजड़ियों और मंदड़ियों की खींचतान के बीच बाजार किसी बड़ी खबर का इंतजार करता दिखा। सप्ताह के बीच असरदार खबर भी आ गई। इराक में गृह युद्ध और यूएस में जीडीपी के तिमाही आंकड़े बाजार पर अपना असर छोड़ने में कामयाब रहे। सोने-चांदी ने पूरे सप्ताह सीमित दायरे में कारोबार किया। यूएस के खराब जीडीपी आंकड़ों ने सोने चांदी की कीमतों को सपोर्ट भी दिया। वहीं इराक संकट के बवाजूद अमेरिका में कच्चे तेल की सप्लाई जारी रही। कच्चे तेल ने 105 डॉलर के सीमित दायरे में कारोबार किया। ज्यादा सप्लाई के चलते अमेरिका में कच्चे तेल के स्टॉक में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई। दरअसल, आईएसआईएल ने इराक के अच्छे खासे इलाके पर कब्जा कर लिया था लेकिन दक्षिणी इराक उनके कब्जे से बाहर था। दक्षिणी इलाके से इराक 75 फीसदी से ज्यादा तेल का उत्पादन करता है। इसलिए कच्चे तेल की सप्लाई पर कोई फर्क नहीं पड़ा। ओपेक देशों में कच्चे तेल के उत्पादन करने के मामले में इराक दूसरे नंबर पर है। यह प्रतिदिन 3.50 मिलियन बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करता है।
सोना –
यूएस के खराब जीडीपी आंकड़े सोने के लिए मजबूत फंडामेंटल दिखा रहे हैं लेकिन बाजार इसको फॉलो नहीं कर रहा है। इस सप्ताह प्रॉफिट बुकिंग के चलते भी सोने की कीमतों में गिरावट देखी गई। बाजार में अच्छी तेजी के बाद स्थिरता का माहौल बन सकता है। इस सप्ताह सोना 27500 से  27900 के दायरे में कारोबार कर सकता हैँ। निवेशकों के लिए सलाह है कि वे सौदा बनाने से पहले सोने के भाव 27900 के ऊपरी स्तर पर ब्रेकआउट या 27500 के निचले स्तर पर ब्रेकडाउन का इंतजार जरूर करें। ट्रेडर्स इन दोनों स्तरों के टूटने के बाद ही सौदा बनाएं।
चांदी –
वाइट मेटल के नाम से मशहूर चांदी के पर लोगों का यकीन ज्यादा होता है। इस हफ्ते चांदी सोने की राह पर चलेगा। चांदी के 44000 से 45000 के दायरे में कारोबार करने के उम्मीद हैं। सोने वाली ही रणनीति चांदी के सौदे बनाने में प्रयोग करें।
क्रूड -
इराक गृह युद्ध की खबरों से क्रूड ऑयल की कीमतों को बाजार पहले ही भुना चुका है। अभी क्रूड ऑयल की सप्लाई बेहतर है। यह संकेत है कि आगे क्रूड ऑयल की कीमतें गिर सकती हैं। एमसीएक्स पर क्रूड ऑयल 6500 के मजबूत रजिस्टेंस जोन पर रहेगा। इसलिए निवेशक 6450 रुपए पर कच्चे तेल में बिकवाली कर सकते हैं। इस सप्ताह 6300-6200 का लक्ष्य देखने को मिल सकता है। लेकिन निवेशक 6525 रुपए के स्तर पर स्टॉपलास जरूर मेंटेन करें।  
कॉपर
चीन, एचएसबीसी के मजबूत मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई आंकड़े से कॉपर की कीमतों में चढ़ाव देखने को मिल रहा है। चीन की मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 50.80 ने बाजार की आशाओं से बढ़कर प्रदर्शन किया। बाजार ने 49.70 का अंदाजा लगाया था। वहीं पिछली बार भी बाजार ने  चीन के मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई का अंदाजा 49.40 लगाया था। 50 से ज्यादा पीएमआई के आंकड़े इस बात का संकेत दे रहे हैं कि कॉपर की कीमतों में तेजी देखने को मिलेगी। दरअसल, पीएमआई के आंकड़े चीन की अर्थव्यवस्था सुधरने के संकेत भी दे रहे हैं। इससे आने वाले दिनों में बेस मेटल का डिमांड बढ़ेगा। कॉपर खपत के मामले में चीन दुनिया के सबसे बड़े देशों में शामिल है। चीन पूरी दुनिया का 30 से 40 फीसदी कॉपर खुद खपत करता है। इस सप्ताह तकनीकी रूप से कॉपर 423 रुपए के मजबूत रजिस्टेंस के आस-पास है। यदि कॉपर इस स्तर को तोड़ता है तो तेजी देखने को मिलेगी, यह 435 से 440 रुपए तक के स्तर पर भी पहुंच सकता है।
निकेल
इस सप्ताह निकेल में तेजी के आसार दिखाई दे रहे हैं। निकेल 1050 रुपए के स्तर से चढ़कर 1130-1135 के अच्छे रजिस्टेंस पर है। लगातार दो कारोबारी सत्र में निकेल 1135 के ऊपर बंद होने में कामयाब रहा है। जिसके कारण इस सप्ताह निकेल की कीमतें 1155 से 1160 रुपए के स्तर पर पहुंच सकती हैं।
नैचुरल गैस
अमेरिका में नैचुरल गैस के साप्तिहक इन्वेंटरी डाटा के चलते गैस की कीमतें 265 रुपए के निचले स्तर पर थीं। हमने पिछले आर्टिकल में 295 का मजबूत रजिस्टेंस बताया था जो सही साबित हुआ। गैस की कीमतों में गिरावट जारी रहेगी। यह 260 रुपए के स्तर पर जा सकता है। निवेशक 270 के आस-पास बिकवाली करें। वहीं 275 पर स्टॉपलास जरूर मेंटेन करें।